जब कुछ नहीं रहा पास तो रख ली तन्हाई संभाल कर मैंने, “मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे आईने से तुम घबराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा। राहत इंदौरी की शायरी पढ़कर युवाओं में उर्दू साहित्य को लेकर एक समझ पैदा होगी, जो उन्हें उर्दू साहित्य की https://youtu.be/Lug0ffByUck